ललितपुर। भारतीय रिजर्व बैंक के सहायक महाप्रबंधक जगदीश नारायण भट्ट और डीएम योगेश कुमार शुक्ल की नसीहत बैंक के अफसर दो दिन में ही भूल गए। बैंक ने शासन की प्राथमिकता में शामिल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के खाते खोलने से न केवल इंकार कर दिया, बल्कि यहां तक कह दिया कि महिलाएं उनकी बैंक में आई ही नहीं। इस पर मुख्य विकास अधिकारी और जिला विकास अधिकारी ने कड़ा रुख अपनाया, तब जाकर महिलाओं के बैंक में खाते खोले जा सके।
दो दिन पहले डीएम ने बैठक करके बैंकों को निर्देश दिए थे कि यदि कोई व्यक्ति ऋण के लिए पात्र है तो उसे ऋण देने में कोताही न बरतें। बैंकों के पास जो पैसा है, वह जनता का है और जनता के लिए है। इसके लिए हमें जनता में विश्वास जगाने की आवश्यता है। सहायक महाप्रबंधक ने कहा था कि बैंकों के पास जो पैसा है, वह जनता का है और जनता के लिए है। बैंकों की साख बनाए रखना हमारा कर्तव्य है।
लेकिन, बैंक के अफसरों ने एक कान से सुना और दूसरे से उड़ा दिया। इसका खुलासा बुधवार को हुआ, जब ब्लाक जखौरा के महरौनी खुर्द गांव के छह स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मुख्य विकास अधिकारी अनिल कुमार पांडेय से शिकायत की कि बैंक उनका खाता नहीं खोल रहा है। इस पर सीडीओ ने जानकारी की तो पता चला कि बैंक ने खाता खोलने की स्वीकृति दे दी थी, लेकिन बैंकों का विलय हो जाने के कारण मामला अटका है। जब, विलय वाले बैंक से जानकारी की गई तो बैंक ने साफ इंकार कर दिया कि उनके पास किसी भी स्वयं सहायता समूह ने बैंक खाता खोलने का आवेदन नहीं किया है और न ही बैंक से महिलाओं ने संपर्क किया है। जब इसकी पड़ताल जिला विकास अधिकारी इंद्रमणि त्रिपाठी ने की तो पता चला कि बैंक ने महिलाओं के खाता खोलने के लिए स्वीकृति पत्र जारी कर किया है।
मामला अधिकारियों के संज्ञान में आया तो उन्होंने दोषी बैंक मैनेजर के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया। यह जानकारी मिलने पर बैंक मैनेजर बैक फुट पर आए और आननफानन में महिला स्वयं सहायता समूह के बैंक खाते खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
स्वयं सहायता समूह की 425 फाइलें पेंडिंग
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बैंक खाते खोलने के लिए जिले भर में बैंकों में 425 फाइलें पेंडिंग हैं। महिलाएं चक्कर लगाती रहती हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती है। जबकि, स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को रोजगार से जोड़ना शासन की प्राथमिकता में शामिल है। जिले में कुल 649 स्वयं सहायता समूहों ने बैैकों में आवेदन किया, जिसमें से सिर्फ 224 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के बैंक खाते खोले गए हैं।
बैंकों को स्वयं सहायता समूह के खाते खोलने में मनमानी नहीं करने देंगे। यदि कोई इसमें हीलाहवाली करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिए लिखा जाएगा। स्वयं सहायता समूह शासन की प्राथमिकता में शामिल हैं।
- इंद्रमणि त्रिपाठी, जिला विकास अधिकारी