ललितपुर। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के कार्य में विजिलेंस की जांच में कमी की रिपोर्ट आने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने विद्युत अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के आदेश जारी किए हैं। जांच में योजना में जमीन के अंदर गाड़े गए खंभों का आधार गुणवत्ता विहीन पाए जाने पर, इसकी रिपोर्ट विजिलेंस ने शासन को भेजी, इसके बाद मुख्यमंत्री द्वारा कार्रवाई के आदेश दिए गए।
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत झांसी मंडल के कई जिलो में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए विद्युतीकरण का कार्य शुरु किया गया था। इसके तहत ललितपुर में भी पंद्रह वर्ष पूर्व वर्ष 2005-06 में करीब 295 गांवों में यह कार्य किया गया। इसमें गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से खंभे, तार व ट्रांसफार्मर लगाए गए। जनपद में हैदराबाद की कंपनी आईवीआरसीएल ने कार्य कराया, लेकिन गुणवत्ताविहीन कार्य होने के बाद कार्य के मेजरमेंट का सत्यापन करते हुए भुगतान कर दिया गया।
यह कार्य अन्य जिलों में भी किया गया, जिसकी शुुरुआती जांच में कई जिलों में बड़े अधिकारी इसमें लपेटे में आए थे। वर्ष 2019 में झांसी की बिजिलेंस टीम ने राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत किए कार्य की जांच की, जिसमें कई जगह खंभों की ग्राउंटिंग (खंभे को जमीन में सीमेंट से फिक्स करना) में गुणवत्तायुक्त कार्य नहीं पाया गया था, जबकि कार्य का भुगतान पहले ही कर दिया गया था। ऐसे में मुख्यमंत्री ने तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए। इससे विद्युत विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
जिले में अन्य योजनाओं के तहत भी विद्युतीकरण का कार्य किया जा रहा है, अधिकारियों द्वारा भी कार्य की गुणवत्ता को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का कार्य कई चरणों में किया गया। जनपद में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति विद्युतीकरण योजना, फिर बीती सरकार के कार्यकाल में जनपद में 44 करोड़ रुपये की लागत से अंडरग्राउंड विद्युत लाइन बिछाने का कार्य किया गया है। यह सब योजनाएं सवालों के घेरे में हैं।
दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के अंतर्गत झांसी मंडल के कई जिलो में राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत गांवों में बिजली पहुंचाने के लिए विद्युतीकरण का कार्य शुरु किया गया था। इसके तहत ललितपुर में भी पंद्रह वर्ष पूर्व वर्ष 2005-06 में करीब 295 गांवों में यह कार्य किया गया। इसमें गांवों तक बिजली पहुंचाने के लिए करोड़ों रुपये की लागत से खंभे, तार व ट्रांसफार्मर लगाए गए। जनपद में हैदराबाद की कंपनी आईवीआरसीएल ने कार्य कराया, लेकिन गुणवत्ताविहीन कार्य होने के बाद कार्य के मेजरमेंट का सत्यापन करते हुए भुगतान कर दिया गया।
यह कार्य अन्य जिलों में भी किया गया, जिसकी शुुरुआती जांच में कई जिलों में बड़े अधिकारी इसमें लपेटे में आए थे। वर्ष 2019 में झांसी की बिजिलेंस टीम ने राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना के तहत किए कार्य की जांच की, जिसमें कई जगह खंभों की ग्राउंटिंग (खंभे को जमीन में सीमेंट से फिक्स करना) में गुणवत्तायुक्त कार्य नहीं पाया गया था, जबकि कार्य का भुगतान पहले ही कर दिया गया था। ऐसे में मुख्यमंत्री ने तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश जारी किए। इससे विद्युत विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।
जिले में अन्य योजनाओं के तहत भी विद्युतीकरण का कार्य किया जा रहा है, अधिकारियों द्वारा भी कार्य की गुणवत्ता को लेकर चर्चाएं होने लगी हैं। राजीव गांधी विद्युतीकरण योजना का कार्य कई चरणों में किया गया। जनपद में दीनदयाल उपाध्याय ग्रामीण ज्योति विद्युतीकरण योजना, फिर बीती सरकार के कार्यकाल में जनपद में 44 करोड़ रुपये की लागत से अंडरग्राउंड विद्युत लाइन बिछाने का कार्य किया गया है। यह सब योजनाएं सवालों के घेरे में हैं।